जो त्याज्य हैं उन्हें मोह अथवा अन्य कारणवश प्रेम करना कुप्रेम कहलाता है।
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जो त्याग देने योग्य हैं जैसे मॄतक, अधर्मी, मूर्ख, अपराधी इत्यादि चाहे सगे ही क्यों न हों, त्याग देने ही हितकारी हैं। इन्हें मोहवश या स्वार्थवश चिपटाए रखना या चिपटे रहना कुप्रेम है।
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