Thursday, 16 February 2017

संसार सारं(एक प्रयास)

- शून्य क्या है ?

- शून्य शब्द है।

- शब्द क्या है ?

- शब्द ओंकार है।

- ओंकार क्या है ?

- सहस्रदल पद्म का विस्तार ही ओंकार है।

- सहस्रदल पद्म क्या है ?

- विष्णु नाभि का विस्तार सहस्रदल पद्म है।

- विष्णु नाभि क्या है ?

- विष्णु नाभि विष्णु का शक्ति केंद्र है।

- विष्णु क्या है ?

- विष्णु परब्रह्म का एक अंश हैं और सृष्टि का आदि और अंत भी हैं।

- परब्रह्म क्या है ?

- परब्रह्म मानव चेतना से परे है। अर्थात मानव चेतना उसकी व्याख्या नहीं कर सकती। क्योंकि परब्रह्म तक पहुँचकर मानव चेतना उसी में विलीन हो जाती है। सृष्टि के समस्त बंधनों, प्रारब्धों, कर्मों, कर्मफलों से मुक्त होकर ब्रह्ममय होकर उसी की भाँति सर्वव्यापी हो जाती है। यह स्थति प्राप्त करना ही अबतक ज्ञात जीवन का अंतिम लक्ष्य भी है।


No comments:

Post a Comment