Monday, 28 January 2013

स्तुति

ऊँ नमो वीणा वादिनी




तुम्हीं हो विद्या दायिनी, हे! नील कमल वासिनी।
नमो: वीणा    वादिनी, नमो: वीणा     वादिनी॥

प्रकृति के कण-कण में, तुम्हीं तो सदा विराजतीं।
सूरज की किरणों में,     नित्य  ही हमें दुलारतीं॥
जल की मृदुल धारा में, तुम्हीं तो स्वर उभारतीं।
वायु के सरल प्रवाह में,  जगत में तुम विहारतीं॥

तुम्हीं हो हंस वाहिनी हे! श्वेत वस्त्र धारिणी।
नमो: वीणा वादिणी,    नमो: वीणा वादिनी॥

वीणा की झंकार से, तुम्हीं तो जीवन संवारतीं।
ज्ञान के प्रकाश से,  नित-नयी राहें   विचारतीं॥
स्नेह और ममता की, तुम्हीं तो हो   मंदाकिनी।
भ्रामर की गुंजन में, भी तो वीणा यही गुंजारती॥

तुम्हीं हो मात-भारती, हे! रत्न-किरीट धारिणी।
नमो: वीणा  वादिनी,    नमो: वीणा    वादिनी॥